परिचय
वानिकी विभाग वानिकी संबंधी मामलों के संबंध में नीति सहायता प्रदान करता है, और वन नीति तथा अन्य प्रासंगिक क्षेत्रों की नीतियों के साथ उसके संबंध की समीक्षा करता है| यह अंतर्राष्ट्रीय नीति प्रक्रियाओं को जानकारी भी प्रदान करता है| विभिन्न कानूनी मामले जैसे, वानिकी मामलों से संबंधित राज्य/केंद्र के विधेयक जिनमें भारत के राष्ट्रपति की सम्मति आवश्यक होती है, का परीक्षण भी विभाग द्वारा किया जाता है.
1. राष्ट्रीय वानिकी कार्यवाही कार्यक्रम (एनएफएपी)
राष्ट्रीय वानिकी कार्यवाही कार्यक्रम वानिकी क्षेत्र की प्रमुख समस्याओं को राष्ट्रीय वन नीति, 1988 के साथ अनुपालन में संबोधित करने के लिए अगले 20 वर्षों की व्यापक रणनीतिक दीर्घावधि योजना है। एनएफएपी का उद्देश्य देश के एक-तिहाई क्षेत्र को वन/वनावरण के अंतर्गत लाना और वनों के सतत विकास की प्राप्ति के लिए वनों की कटाई रोकना है.
2. भारतीय वन अधिनियम, 1927
विभाग, भारतीय वन अधिनियम, 1927 जैसे कानूनी मामलों से भी निपटता है, जो देश में वनों के प्रबंधन के लिए कानूनी ढ़ांचा प्रदान करता है । कुछ राज्यों में, अधिनियम वैसा का वैसा लागू होता है, जबकि कुछ राज्यों ने अपने स्वयं के कानून लागू किए हैं, जो भारतीय वन अधिनियम, 1927 के ही अपनाए गए संस्करण हैं।
चूंकि इस अधिनियम को अपनाए जाने के बाद से वानिकी में कई अवधारणात्मक परिवर्तन हुए हैं, अत: हाल के परिदृश्य को देखते हुए इस अधिनियम में संशोधन करने का निर्णय लिया गया है।
3. राष्ट्रीय वन आयोग
पर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा 7 फरवरी,2003 को राष्ट्रीय वन आयोग के गठन की अधिसूचना जारी की गई है ताकि वन एवं वन्यजीव क्षेत्र की समीक्षा निम्नलिखित विचारार्थ विषयों के साथ की जा सके:
नागरिक समुदाय की उभरती आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए अखिल भारतीय एवं राज्य स्तरीय, दोनों स्तरों पर वन प्रशासन की वर्तमान स्थिति तथा वानिकी संस्थानों का परीक्षण करना। सतत वन एवं वन्यजीव प्रबंधन एवं विकास, जैव-विविधता संरक्षण तथा पारिस्थितिकी सुरक्षा की प्राप्ति के लिए नीति विकल्प दर्शाते हुए अनुशंसाएं करना।उपरोक्त नीति विकल्पों की प्राप्ति में सहायता करने की दृष्टि से वन प्रशासन को अधिक प्रभावी बनाने के तरीके और उपाय सुझाना।
वानिकी प्रबंधन तथा आदिवासियों सहित स्थानीय समुदायों के बीच अर्थपूर्ण साझेदारी और संपर्क स्थापित करना ।
आयोग की संरचना निम्न प्रकार से की गई है:
क्र. | नाम और पद | पद |
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1 | श्री न्यायमूर्ति बी.एन.किरपाल, भारत के पूर्व न्यायाधीश | अध्यक्ष (अंशकालिक) |
2 | वन महानिदेशक एवं पर्यावरण एवं वन मंत्रालय में विशेष सचिव | सदस्य पदेन |
3 | प्रो. जे.एस.सिंह, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय | सदस्य-अंशकालिक |
4 | श्री चंडी प्रसाद भट्ट | सदस्य-अंशकालिक |
5 | डॉ. एम.के.रंजीतसिंह | सदस्य-अंशकालिक |
6 | श्री ए.पी.मुथुस्वामी | सदस्य-अंशकालिक |
7 | अपर वन महानिदेशक, पर्यावरण एवं वन मंत्रालय | सदस्य- सचिव (पदेन) |
आयुक्त का कार्यकाल दो वर्ष का होगा. आयुक्त, पर्यावरण एवं वन मंत्रालय में केंद्र सरकार के व्यवस्थापकीय नियंत्रण में कार्य करेगा, जिसका मुख्यालय नई दिल्ली में होगा।