परिचय

1992 में अपनाई गई प्रदूषण की रोकथाम के लिए नीति कथन ने पारंपरिक अंत-नल उपचार के स्थान पर प्रदूषण रोकथाम पर जोर दिया। इसमें प्रदूषण रोकथाम के लिए उपलब्ध और व्यावहारिक तकनीकों को अपनाने को प्रमुख तत्व के रूप में पहचाना गया। मंत्रालय और इसके संबंधित संगठनों के प्रदूषण रोकथाम और नियंत्रण से संबंधित विभिन्न कार्यक्रमों और योजनाओं का ध्यान इस प्रकार के मुद्दों पर केंद्रित है जैसे कि स्वच्छ और कम कचरे वाली तकनीकों का प्रचार, कचरे को कम करना, पुनः उपयोग या पुनर्नवीनीकरण, जल की गुणवत्ता में सुधार, पर्यावरण ऑडिट, प्राकृतिक संसाधन लेखांकन, जन-आधारित मानकों का विकास, संस्थागत और मानव संसाधन विकास आदि। प्रदूषण रोकथाम और नियंत्रण का पूरा मामला कमांड और नियंत्रण विधियों के साथ-साथ स्वैच्छिक नियमों, वित्तीय उपायों, जागरूकता के प्रचार आदि के संयोजन द्वारा निपटाया जाता है।

मंत्रालय के प्रदूषण रोकथाम और नियंत्रण से संबंधित कार्यक्रम हैं:

  1. पर्यावरणीय बयान (पर्यावरण ऑडिट का हिस्सा)
  2. पर्यावरण सांख्यिकी और मानचित्रण
  3. स्वच्छ तकनीकों का विकास और प्रचार
  4. छोटे उद्योगों में स्वच्छ तकनीकों को अपनाना
  5. कचरा कम करना
  6. वाहन प्रदूषण को कम करने के लिए ऑटोमोटिव ईंधनों (मोटर गैसोलीन और डीजल) की गुणवत्ता में सुधार के लिए कार्यक्रम
  7. सड़क पर चलने वाले वाहनों से वाहन प्रदूषण नियंत्रण पर मिशन
  8. शोर प्रदूषण
  9. पर्यावरणीय महामारीविज्ञान अध्ययन
  10. मानकों का विकास
  11. ईको लेबलिंग

एम.सी. मेहता बनाम भारत संघ और अन्य (ओ.ए. नंबर 200/2014) की विशेष निरीक्षण समिति की संयुक्त निरीक्षण रिपोर्ट (25.04.2017)PDF (1.2 MB)